शेयर मार्केट से सम्बंधित आपने अभी तक बहुत सी videos और लेख पढ़े होंगे परन्तु जिस तरह से आज यहाँ आपको शेयर मार्केट से सम्बंधित जानकारियां मिलेंगी वह आप कभी नहीं भूल पाएंगे । इसका कारण यह है कि यहाँ हम शेयर मार्केट की संकल्पना (Concept) पर बात करेंगे और यदि किसी भी विषय का concept समझ में आ जाये तो उस विषय को भूल पाना असंभव के समान ही हो जाता है ।
शेयर मार्केट को समझने से पहले हम मार्केट शब्द पर थोड़ा ध्यान देंगे । मार्केट का अर्थ होता है बाज़ार जहाँ किसी भी सामान का क्रय (Buying) और विक्रय (Selling) होता है । अब यह सामान कौन सा होगा वह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस मार्केट में हैं जैसे उदाहरण के रूप में, यदि आप कपड़ा मार्केट में हैं तो वहां कपड़े का क्रय-विक्रय होगा । ठीक ऐसे ही यदि आप शेयर की मार्केट में हैं तो वहां शेयर का क्रय – विक्रय होगा ।
हाँ, यहाँ समझने वाली बात यह है कि कपड़ा मार्केट में तो आप पैसे देंगे और जो भी कपड़ा आपने लिया है उसको आप अपनी आँखों से देख पाएंगे परन्तु Shares आप अपनी आँखों से देख नहीं पाएंगे । बस उनका मूल्य (Value) आप देख पाएंगे ।
अब थोड़ा आगे बढ़ते हैं ।
अब एक प्रश्न यहाँ उठता है कि कपड़ा मार्केट तो भारत में कई जगह हैं तो क्या ऐसे ही शेयर मार्केट में भी भारत में कई जगह हैं ?
मुख्य रूप से केवल 2 ही शेयर मार्केट हैं भारत में और वे भी मुंबई में हैं, एक है BSE (Bombay Stock Exchange) और एक है NSE (National Stock Exchange).
अब आपको इनसे shares खरीदने के लिए इनके पास train या flight या car या bus करके जाने की कोई आवश्यकता नहीं है । Online shares कैसे खरीदने हैं ? इस सम्बन्ध में आपको बहुत से लेख या videos, Google पर मिल जाएंगे जो आपको बहुत ही अच्छे से सब कुछ विस्तार से बताएँगे ।
अब अगले प्रश्न पर आते हैं ।
शेयर्स क्या होते हैं ? कपड़ा के विषय में तो हम सब जानते हैं क्यूंकि हम बचपन से ही अपनी आँखों से उसको देख रहे हैं परन्तु शेयर्स तो दिखाई नहीं पड़ते तो यह हैं क्या ?
शेयर शब्द जैसा कि हम सब जानते हैं साझा करना । और आसान शब्दों में कहूं तो किसी से कुछ बांटना ।
अब आप किसी से केवल वही वस्तु बाँट सकते हैं जो आपके पास हो । जो वस्तु आपके पास नहीं है वह आप कैसे बाँट सकते हैं ?
अब शेयर मार्केट में शेयर कौन बाँट रहा है ?
कंपनियां बाँट रही हैं ।
अब एक और प्रश्न यहाँ खड़ा होगा कि आप कह रहे हैं कि शेयर का मतलब कुछ बांटना फिर चाहे वह ज्ञान हो, अपना खाना हो, अपनी खुशियां हों, दुःख हो, इत्यादि । परन्तु यहाँ कंपनियां क्या बाँट रही हैं शेयर्स के नाम पर ?
अपनी कंपनी आप से बाँट रही हैं । समझाता हूँ कैसे ?
अभी तक कंपनी का एक ही मालिक था पर अब जितने लोग उस कंपनी के शेयर्स खरीदेंगे उतने मालिक हो जाएंगे । मतलब कंपनी अपना मालिकाना अधिकार हमसे साझा करती है अपने शेयर्स बेचकर ।
पर किसी भी कंपनी का मालिक अपनी कंपनी को किसी के साथ क्यों बांटेगा ? क्या उसकी कंपनी को नुकसान नहीं होगा ? क्यूंकि जितने ज़्यादा मालिक होंगे उतना ही profit भी कंपनी का बटेगा तो मालिक को फायदा क्या होगा शेयर्स बेचकर ?
कोई भी कंपनी यदि अपने शेयर बेचती है तो ग्राहकों को तो उस कंपनी के शेयर्स मिल जाते हैं परन्तु कंपनी को क्या मिलता है ?
कंपनी के पास शेयर्स को बेचकर धन आता है । उस धन से कंपनी अपना बिज़नेस और बड़ा करती है । जब किसी कंपनी का बिज़नेस बड़ा होता है तो या तो भविष्य में उसको लाभ होगा या घाटा होगा । यदि जो नीतियां उस कंपनी ने बनायीं थी अपने बिज़नेस को बढ़ने के लिए वे सही थी तो कंपनी को आने वाले संजय में बहुत लाभ (profit) होगा और यदि नीतियां विफल रहीं तो लाभ की जगह घाटा होगा ।
यहाँ पकड़ने वाली बात यह है कि कंपनी को अपना बिज़नेस बढ़ाना है, जिसके लिए उसको धन की आवश्यकता है और उस धन का प्रबंधन कंपनी अपने शेयर्स बेच कर करती है ।
अब यहाँ एक प्रश्न और खड़ा होता है । कंपनी लोन लेकर अपना बिज़नेस क्यों नहीं बढ़ाती है ? अपना मालिकाना अधिकार बेचकर ही क्यों धन का प्रबंधन करती है ?
यदि कंपनी लोन लेकर अपना बिज़नेस बढ़ाएगी तो उसको भविष्य में ब्याज के साथ लोन की राशि को चुकाना पड़ेगा फिर चाहे उसको अपने बढ़ाये हुए बिज़नेस से घाटा ही क्यों न हुआ हो ।
परन्तु एक कंपनी का मालिक अपनी कंपनी के शेयर्स हमें बेचते ही मालिक बना देता है और अब यदि आगे कंपनी डूबती भी है तो कंपनी ने जितना भी पैसा शेयर्स बेचकर बाज़ार से उठाया था उसे वह सब वापस लौटाने की ज़रूरत नहीं है क्यूंकि हमने शेयर्स ख़रीदे थे लोन नहीं दिया था कंपनी को ।
अब सबसे बड़ा प्रश्न यह आता है, तो यदि कंपनी को आगे फायदा (profit) हुआ तो सभी मालिकों में profit बटेगा तब कंपनी को अंत में लाभ ही क्या होगा क्यूंकि इतने सारे तो मालिक ही हैं कंपनी में ?
कंपनी के पास सबसे ज़्यादा शेयर्स होते हैं । मान लो एक कंपनी का मूल्य 10 करोड़ रूपए है । यदि आज कोई उस कंपनी को खरीदना चाहता है तो 10 करोड़ रूपए लगेंगे । अब यह कंपनी अपने शेयर्स बाज़ार में बेचने के लिए निकलती है ।
कंपनी का मूल्य यदि प्रतिशत (percentage) में निकालें तो
100% = 10,00,00,000
1% = 10,00,000
49% = 4,90,00,000
51% = 5,10,00,000
अब मैं बताता हूँ कि मैंने प्रतिशत में कंपनी का मूल्य क्यों निकाला ?
क्यूंकि किसी भी कंपनी का मालिक अपनी कंपनी के मूल्य के 49% से अधिक शेयर्स को नहीं बेचेगा क्यूंकि यदि वह ऐसा करता है तो कंपनी को बड़ा करने से जो लाभ होगा उसका अधिकतर हिस्सा तो बात जायेगा ।
इसीलिए कंपनी में जितना भी लाभ होगा उसका 51% तो कंपनी में ही रहेगा केवल 49% ही बटेगा । इसलिए शेयर्स बेचने से या कंपनी में मालिक बढ़ने से कंपनी को नुकसान नहीं होता ।
अब फिर से कपड़ा मार्केट वाले उदाहरण पर आते हैं । किसी भी मार्केट में एक व्यापारी होता है और एक ग्राहक होता है । कपड़ा या कोई भी मार्केट हो वहां जो भी व्यक्ति अपना सामान बेच रहा है दुकान खोलकर उसे व्यापारी कहा जाता है और खरीदने वाले को गाहक कहा जाता है ।
परन्तु शेयर मार्केट में शेयर खरीदते ही व्यक्ति शेयरहोल्डर (shareholder) बन जाता है और साथ ही इनवेस्टर भी क्यूंकि शेयर्स के माध्यम से व्यक्ति ने कुछ धन कंपनी को दिया है । इनवेस्टर (Investor) और शेयरहोल्डर में एक छोटा सा अंतर यह है कि इनवेस्टर ने हो सकता है कंपनी में कुछ पैसा लगाया हो पर शेयर्स न खरीदें हों ।
सारे शेयरहोल्डर इनवेस्टर होते हैं परन्तु सभी इनवेस्टर शेयरहोल्डर हों यह ज़रूरी नहीं है ।
IPO क्या होता है ?
जब कोई कंपनी पहली बार शेयर मार्केट में अपने शेयर्स बेचने के लिए उतरती है तब उस कंपनी के शेयर्स को IPO कहा जाता है । ऐसा इसलिए जिससे सभी को यह पता चल जाए कि यह कंपनी पहली बार अपने शेयर्स बाज़ार में बेच रही है ।
Buyback क्या होता है ?
जब कंपनी अपने बेचे हुए शेयर्स को अपने shareholders से खरीदती है तब उसे बायबैक (buyback) कहते हैं । ऐसा कंपनी तभी करती है जब shareholders का भरोसा कंपनी से उठ जाता है और वे shareholders बाज़ार में बहुत ही कम कीमतों पर अपने शेयर्स बेच रहे होते हैं । तब कंपनी खुद अपने शेयर्स पूरे मूल्य पर खरीद लेती है . इससे शरहोल्डर्स का भरोसा फिर से कंपनी पर बन जाता है कि यदि कंपनी अपने शेयर्स वापस ले रही तो ज़रूर भविष्य में यह शेयर और महँगा बिकेगा । इससे बाज़ार में दोबारा से शेयर्स का भाव बढ़ जाता है क्यूंकि अब अधिकतर shareholders अपने शेयर्स बाज़ार में नहीं बेचते हैं । यदि बेचते भी हैं तो बढ़ी हुई कीमतों पर ।
सेंसेक्स और निफ्टी 50 (Nifty 50) क्या होता है ?
सेंसेक्स बढ़ने का मतलब है शेयर मार्केट में शेयर्स के भाव अभी बढ़े हुए हैं । और सेंसेक्स नीचे जाने का मतलब है कि शेयर्स के भाव अभी गिर रहे हैं ।
सेंसेक्स में टॉप 30 companies के शेयर्स के भाव को देखकर यह कहा जाता है कि सेंसेक्स बढ़ा हुआ है या घटा हुआ है ।
निफ़्टी 50 में टॉप 50 companies को देखकर शेयर्स बाज़ार में मंदी और तेज़ी का अनुमान लगाया जाता है ।
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि शेयर मार्केट में 1000 से भी ज़्यादा companies सूचि में हैं परन्तु शेयर मार्केट में मंदी और तेज़ी का अनुमान इन्हीं गिनी – चुनी companies से लगाया जाता है ।
शेयर मार्केट में ट्रेडर (Trader) किसे कहते हैं ?
शेयर्स खरीदने बेचने वाले को ट्रेडर कहते हैं । उदाहरण से समझाऊं तो जितनी कीमत पर आपने शेयर्स खरीदे थे यदि उससे ज़्यादा मूल्य मिलने पर आपने उस शेयर्स को बेच दिया तो आप ट्रेडर ही कहलाये जाओगे । बहुत से लोग इंट्राडे ट्रेडिंग भी करते हैं यानी जिस दिन शेयर ख़रीदा, उसी दिन ही बेच दिया । इसके बारे में आने वाले पोस्ट में विस्तार से बात करेंगे ।
Big Bull क्या होता है ?
बैल कैसे आक्रमण करता है ?
अपने सींघ से उठाकर व्यक्ति को हवा में उछाल देता है । ठीक उसी प्रकार शेयर मार्केट में बैल वही है जो किसी भी शेयर के भाव को उछाल दे . अब आप कहेंगे ऐसा कैसे हो सकता है ?
ऐसा संभव है । इसके उप्पर कई सारी जानकारियां गूगल पर उपलब्ध है, आप वहां पढ़ सकते हैं । मेरा काम तो यहाँ आपको concept बताना है ।
शेयर मार्केट में भालू (Bear) क्या दर्शाता है ?
भालू किसी को भी नीचे गिराकर ही मारता है । ठीक इसी प्रकार शेयर मार्केट में भालू वही है जो शेयर्स के भाव को नीचे गिरा दे ।
शेयर मार्केट में कछुआ किस मानसिकता का प्रतीक है ?
कछुआ धीरे- धीरे चलता है और अंत में विजयी होता है । कछुआ बनना सबसे अच्छा है क्यूंकि शेयर मार्केट में बड़े परिणाम बहुत समय बाद ही देखने को मिलते हैं । जो जितने लम्बे समय तक अपने शेयर्स अपने पास रखता है, उन्हें बेचता नहीं है वह अंत में लाभ में रहता है क्यूंकि शेयर्स की कीमत धीरे धीरे बढ़ती ही है बस थोड़ा अनुसंधान (research) करके ही अपने शेयर्स खरीदना ।
और यदि आप रिसर्च नहीं करना चाहते हो तो आप Mutual Funds में निवेश करो । Mutual Funds से सम्बंधित जानकारी भी मैं आपके समक्ष लाने का प्रयास करूँगा ।
मैंने यहाँ बिलकुल सरल करके शेयर मार्केट को समझाने का प्रयास किया । मैं कितना सफल हो पाया, यह तो मैं नहीं जानता परन्तु आपके सुझाव सदैव आमंत्रित हैं ।
अब जब आपने मन बना ही लिया है शेयर्स खरीदने का तो सबसे पहले आपको ज़रूरत पड़ेगी एक डीमैट अकाउंट की । डीमैट अकाउंट के विषय में जानने के लिए आप नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।
डीमैट अकाउंट क्या होता है ? यह क्यों ज़रूरी है ?
यदि आपको यहाँ प्रस्तुत जानकारी अच्छी लगी तो नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करके आप बचत के विषय में भी अद्भुत जानकारी ले सकते हैं क्यूंकि बिना बचत के निवेश संभव नहीं है ।
Financial Freedom क्या है ? किस नियम से मिलेगी वित्तीय स्वतंत्रता ?
आपने इतने ध्यान से यहाँ तक पढ़ा । आपका धन्यवाद ।