यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछा कि तुम्हें संसार की सबसे विचित्र बात क्या लगी ?
युधिष्ठिर ने उत्तर दिया शमशान वैराग्य ।
अब आपके मन में प्रश्न आ रहा होगा कि शमशान वैराग्य क्या है ?
जब किसी व्यक्ति का देहांत हो जाता है तो उसे बांस की ठेठरी पर लेटा देते हैं और उस ठेठरी को चार आदमी अपने कंधे पर ले जाते हैं । साथ में बोलते जाते हैं राम नाम सत्य है । राम नाम सत्य है ।
यह बात इसीलिए कही जाती है जिससे जिन भी लोगों के कान में यह वाक्य पड़े तो उसे तुरंत स्मरण आ जाये कि यह शरीर नश्वर है । एक दिन सभी के शरीर को शमशान ही जाना है । यदि कोई यह मानकर चल रहा है कि उसके शरीर में बल ऐसे ही बना रहेगा तो वह गलत है । केवल राम का नाम ही इस संसार में हमेशा बना रहेगा । जब तक यह संसार रहेगा तब तक राम का नाम रहेगा । इसीलिए राम का नाम सत्य है ।
युधिष्ठिर जी को सबसे विचित्र बात लगी कि जब तक लोग शमशान में रहते हैं तब तक उनको स्मरण रहता है कि अंत में हमारी भी यही गति होगी । परन्तु जैसे ही वे शमशान से बाहर आते हैं दोबारा से वही सब गलत काम में लग जाते हैं जैसे चुगली करना, किसी को आगे बढ़ते देख ईर्ष्या पैदा होना, विश्वासघात करना, थोड़े से धन की लालच में सामान में मिलावट कर देना, इत्यादि ।
यही शमशान वैराग्य है । व्यक्ति जब तक शमशान में रहता है तब तक उसके मन में वैराग्य रहता है । परन्तु जैसे ही शमशान से बाहर आता है, वैराग्य भी उसके अंदर से बाहर आ जाता है ।
अब थोड़ी बात वैराग्य पर कर लेते हैं ।
वैराग्य क्या है ?
वैराग्य का सरल सा अर्थ है सुख और दुःख, लाभ और हानि, काम और क्रोध, लोभ और मोह, मद और मत्सर, में एक जैसा बने रहना । काम क्या है ?, क्रोध में कैसे शांत बने रहे ?, मोह क्या है ? यदि यह सब प्रश्न आपके मन में आ रहे हैं तो इन सब का उत्तर नीचे दिए हुए link पर click करके जान सकते हैं ।
यदि आप चाहते हैं कि वैराग्य का भाव आपमें सदैव बना रहे तो नीचे दिए link पर click करके आप मणिपुर चक्र साधना के विषय में जान सकते हैं जो आपके जीवन को परिवर्तित कर देगी । और भी बहुत से लाभ हैं इस साधना के । आप ज़रूर एक बार नीचे click करके इस post को पढ़ें ।
अब आगे बढ़ते हैं ।
वैराग्य होने से क्या लाभ होता है?
वैराग्य होने से मन शांत होता है । वैराग्य से जीवन में जो 5 कलेश और 6 विकार हैं उनसे दूरी बन जाती है । ये 5 कलेश और 6 विकार हमारे जीवन में सुख के शत्रु हैं और जिस दिन इन शत्रुओं का अंत हो जाता है, उस दिन से हमारे जीवन में सुगंध आ जाती है जैसे चन्दन के पेड़ से आती है ।
हनुमान चालीसा में भी सबसे पहला दोहा जो है उसमें आखरी दो lines yahi हैं :
बल, बुद्धि, विद्या देहु मोहि
हरहु कलेश विकार
हनुमान जी से भी हम यही प्रार्थना करते हैं कि आप हमारे कलेश और विकारों को हर लेते हैं । इनके बारे में विस्तार से आप यहाँ जान सकते हैं :
हनुमान चालीसा की सभी पंक्तियों का अर्थ यदि आप जानना चाहते हैं तो नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक कर के जान सकते हैं । पूरे Google पर हनुमान चालीसा का इतना सरल अर्थ आपको नहीं मिलेगा ।
हनुमान चालीसा के अर्थ के साथ और भी ज्ञानवर्धक बातें ।
यक्ष – युधिष्ठिर संवाद में आज हमने केवल एक ही प्रश्न का अर्थ समझा है । आगे इसी श्रृंखला में और भी post आएंगे फिर हम और भी ज्ञानवर्धक चर्चा करेंगे ।
यहाँ तक आपने इतने ध्यान से पढ़ा । आपका धन्यवाद ।